✍️ संत वचन को मन से सुनना कर्म से सदा सुनाना है। फूलों की मानिन्द महकना औरों को महकाना है ✍️

✍️सन्त वचन को मन से सुनना कर्म से सदा सुनाना है। फूलों की मानिन्द महकना औरों को महकाना है ✍️
👉जगतपुर रायबरेली 👈
✍️ रायबरेली जिला के जगतपुर के अंतर्गत संत निरंकारी सत्संग भवन जगतपुर में रविवारीय सत्संग कार्यक्रम आयोजित किया गया सन्त वचन को मन से सुनना कर्म से सदा सुनाना है। फूलों की मानिन्द महकना औरों को महकाना है महात्मा पुष्पेंद्र सिंह जी ने कहा – परमात्मा को जीवन का आधार बनाने से ही मानवीय गुणों को आत्मसात किया जा सकता है। मानवीय गुणों के आधार पर जीवन को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है। अक्सर मनुष्य अहंकार और भ्रम में इतना खो जाता है कि स्वयं को ही श्रेष्ठता देने लगता है। अपने विचारों के आधार पर मैं ही श्रेष्ठ लगूं और बाकी सब तुच्छ हैं, यह जताने की कोशिश करता है। सब में परमात्मा का अंश है, हर कोई श्रेष्ठ है। कोई अपनी श्रेष्ठता को सिद्ध करने की खातिर किसी और को नीचा समझे, किसी और को नीची दृष्टि से देखे यह कतई उचित नहीं है। वास्तव में हर कोई श्रेष्ठ है क्योंकि सभी परमात्मा की रचना है। सत्गुरु माता जी ने भ्रमों से मुक्त होने पर जोर देते हुए कहा कि ब्रह्मज्ञान, भ्रमों से निजात दिलाने का माध्यम है। इसीलिए कहा है ‘ब्रह्म की प्राप्ति, भ्रम की समाप्ति । भ्रमों से निजात पाना है तो सन्तों के कल्याणकारी उपदेशों को जीवन का आधार बनाना होगा। पुरातन समय की चीजें वर्तमान में उपयोगी नहीं हैं। उस समय विद्युत नहीं थी, यदि कोई कहे कि उस समय तो मशाल, दीपक, लालटेन आदि से घर में रोशनी की जाती थी, आज भी उन्हीं से रोशनी प्राप्त करेंगे तो यह प्रासंगिक नहीं है। आज रोशनी प्राप्त करने के अत्याधुनिक साधन उपलब्ध हैं। अर्थात् समय के साथ बदलाव लाना आवश्यक है✍️
✍️पत्रकार रितिक तिवारी की रिपोर्ट ✍️