✍️आध्यात्मिकता की राह में चलकर ही मानवता को स्थापित किया जा सकता है ✍️

✍️आध्यात्मिकता की राह में चलकर ही मानवता को स्थापित किया जा सकता है ✍️
👉जगतपुर रायबरेली👈
✍️रायबरेली जिला के जगतपुर के अंतर्गत सन्त निरंकारी सत्संग भवन जगतपुर में रविवारीय सत्संग कार्यक्रम आयोजित हुआ सत्संग की अध्यक्षता करते हुए महात्मा राजेश जी ने कहा ।आध्यात्मिकता की राह में चलकर ही मानवता को स्थापित किया जा सकता है।बिना कान के सब की सुनता बिन कर कारोबार करें , बिन टांगों के चलता फिरता पिंगला पर्वत पर करें , बिना नाक के सूंघ है सकता बिन जिह्वा राग सुनाता हैं , बिना आंख के सब कुछ देखे बिना उदर के खाता है , यद्यपि इसका रूप नहीं है कई रूपों में आता है , कह अवतार अलख की लखता सद्गुरु सिर्फ कराता है* प्रभु परमात्मा जो सभी जगह ब्याप्त हैं जिसका न कोई आदि है न कोई मध्य है न ही कोई अन्त है न कोई रंग रुप है ऐसे निर्गुण निरंकार परमात्मा का स्वरूप है जिनके कान नहीं है फिर भी सभी की सुनता है हाथ नहीं दिखता है फिर भी सारे कारज करते हैं जिनकी कृपा से लंगड़ा भी पर्वत चढ़ सकता है बिना नाक के सूघता है बिना जिह्वा के सारे भोगों को स्वीकार करता है राग सुनाता है बिना आंख के सब देखता है ऐसे प्रभु परमात्मा जिसकी वेदों ने गुणगान किया है ऐसे स्वरूप की लखता सिर्फ पूर्ण सद्गुरु की कृपा से ही हो सकती है जब गुरु की कृपा से इसका अंग संग दीदार होने लगता है तभी हम आध्यात्मिकता को धारण कर पाते हैं तभी अध्यात्मिकता की राह पर चल सकते हैं आध्यात्मिकता की राह पर चलना अर्थात इस आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति कराना आत्मिक गुणो के साथ जीवन जीना एक परायेपन को मिटा कर, निंदा नफरत से दूर होकर ,एकत्व और अपनत्व के भाव के साथ मिल जुल कर रहना है इस मौके पर सैकड़ों की साध संगत मौजूद रही✍️
✍️पत्रकार रितिक तिवारी की रिपोर्ट ✍️