✍️ईश्वर से जुड़कर प्रेम करना ही सच्ची भक्ति है✍️

✍️ईश्वर से जुड़कर प्रेम करना ही सच्ची भक्ति है✍️
👉जगतपुर रायबरेली 👈
✍️ रायबरेली जिला के जगतपुर के अंतर्गत सन्त निरंकारी सत्संग भवन जगतपुर में भक्ति पर्व दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया जिसमें महात्मा *विजय बहादुर सिंह जी* ने कहा *भक्ति करने वाला मन ही एक मंदिर बन जाता है सिवा प्रभु के दूजा कोई उसमें ना बस पाता है* ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति के बाद हृदय से जब भक्त और भगवान का नाता जुड़ जाता है तभी वास्तविक रूप में भक्ति की शुरुआत होती है भक्त खुद भी इसी मार्ग की ओर अग्रसर रहता है और अपने प्रेमा भक्ति के भाव प्रकट करता है जब तक अपने आप की पहचान नहीं रहती है इस प्रभु से नाता नहीं जुड़ता है तब तक एक जीव स्वरूप में रहकर के जीवन जीता है अपने आपके शरीर ही मानता रहता है लेकिन सतगुरु से ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर लेता है अपने आप की पहचान कर लेता है फिर प्रभु परमात्मा की भक्ति करते हुए आत्म स्वरूप को प्राप्त करता है फिर जीते जी मुक्ति वाली अवस्था बन जाती है आप स्वरूप को प्राप्त होना अर्थात सभी बंधनों से मुक्त हो जाना फिर एक दूजे पान के भाव मिट जाते हैं सारा संसार ही ब्रह्ममय में दिखने लगता है कोई पराया नहीं दिखता है *भक्ति पदारथ तब मिलै, जब गुरु होय सहाय ,प्रेम प्रीति की भक्ति जो, पूरण भाग मिलाय* सन्त कहते हैं भक्ति रूपी अनमोल वस्तु तभी मिलती है जब पूर्ण सतगुरु की कृपा हो जाए बिना गुरु की कृपा से भक्ति कर पाना असम्भव है जिन पर गुरु की कृपा हो जाती है उनका पूर्ण भाग उदय हो जाता है जो प्रेम -प्रीति से पूर्ण भक्ति होती है ऐसे भक्त जन का मन स्वयं एक मंदिर जैसा हो जाता है जिसमें इस प्रभु परमात्मा का वास हो जाता है एकमिक वाली अवस्था बन जाती है ऐसी ही भक्ति करते हुए निरंकारी मिशन में अनेकों महात्मा ने अपनी अन्तिम सांस तक गुरु चरणों की सेवा करते हुए समर्पित हो गये है *जग न जाने भक्ति क्या है प्रभु को पाना भक्ति है ,छोड़
के सारे भरम भुलेखे थेश गुरु रिझाना भक्ति है एक को जानो एक को मानो एक हो जाना भक्ति है* इस संसार भ्रम भुलेखो को तज कर इस एक को जान कर एक जाना ही भक्ति है एक हो जाना अर्थात मोक्ष की प्राप्ति कर लेना मानव तन मिलने के उद्देश्य का प्राप्त कर लेना। महापुरुषों ने गीत बोल *भक्ति से भरा जीवन दातार हमें देना, मजबूत पहाड़ों का ऐतबार हमें देना, भक्ति है बड़ी ऊंची निर्बल है भगत तेरा ,इक तू ही सहारा है इस राह में प्रभु मेरा* बहनों ने गीत बोला *भक्ति दे दो सभी को बक्सन हार माताजी ,हम सब बैठे हैं झोली पसार माताजी, मन में मीरा कबीर जैसी भक्ति भर दो ,प्रेम करुणा, दया का दाता हमको वर दो* इस मौके पर महात्मा धनई जी, गंगा प्रसाद जी रुपेश जी,राम सुमेर जी, जगन्नाथ जी,नितेश जी,गुलशन जी बहनों में उषा जी, कर्मावती, शान्ती जी,आशा जी कुसमा जी,मीरा जी आदि साध संगत मौजूद रही✍️
✍️पत्रकार रितिक तिवारी की रिपोर्ट ✍️