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✍️तेरा अपना अस्तित्व तेरी एक आत्मा का रूप है जो इस परमात्मा का अंश है ✍️

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✍️तेरा अपना अस्तित्व तेरी एक आत्मा का रूप है जो इस परमात्मा का अंश है ✍️

👉जगतपुर रायबरेली 👈

✍️रायबरेली जिला के जगतपुर के अंतर्गत संत निरंकारी सत्संग भवन जगतपुर में बुधवार को सत्संग का आयोजन किया गया। महात्मा शेष नारायण सिंह जी ने कहा ✍️

👉जाग जा मुसाफिर, यह सफर तय हो रहा है। यह जन्म तुझे आत्मा को संवारने के लिए मिला। इस जन्म का मोल डाल ले, मूल को जान ले और इसकी पहचान करके तू जान जा कि तेरा असली अस्तित्व तेरा शरीर नहीं, असली अस्तित्व तेरी कोई दुनियावी सार्मथाएं नहीं, तेरा अपना अस्तित्व एक आत्मा का रूप है जो इस परमात्मा का अंश है। तू अपने आपको जान ले । अपने आपको जानेगा तभी, जब इस परमात्मा इस मूल की पहचान होगी। आज हम इसी परमात्मा की जानकारी निरंकारी मिशन में प्राप्त कर सकते है कहते भी है -आईने में हम अपनी शक्लो-सूरत देखकर अपने आपकी पहचान करते हैं। जब तक हम आईना नहीं देखते तब तक अपनी शक्ल से भी वाकिफ नहीं होते। अक्सर यह मिसाल भी दी जाती है कि जिसने शीशे में कभी अपनी शक्ल न देखी हो और आप उसकी तस्वीर खींचकर वही तस्वीर उसके हाथ में पकड़ा दें तो वह भी अचम्भे में रहेगा कि पता नहीं किसकी तस्वीर उसके हाथ में दिखा रहे हैं। उसने अपनी तस्वीर कभी देखी ही नहीं है। अपनी शक्ल देखी ही नहीं है। अपनी शक्ल से वह वाकिफ ही नहीं तो वह कितना हैरान और परेशान होता है। इसी प्रकार अपने आपको जानने के लिए कहा जाता है कि Know thyself कि तेरी असल पहचान, असल अस्तित्व आत्मा का रूप है। इस आत्मा को जब परमात्मा का बोध होता है तो अपने आप की पहचान हो जाती है। फिर अपनी असलियत में, हकीकत में स्थित हो जाता है। फिर इसके लिए कोई भेद नहीं रह जाता। फिर यह एक इन्सान बनकर जीता है। फिर नफरत भी न होगी । नफरत न होगी तो प्यार होगा। प्यार होगा तो शान्ती होगी। शान्ति होगी तो सुकून होगा। सुकून होगा तो हम आगे बढ़ेंगे, तरक्की करेंगे और सुख, चैन से रहेंगे।

इसलिए महापुरूषों-सन्तों ने कहा कि आत्मा का परमात्मा से नाता जुड़ना, यही इस मन को भी रौशन कर देता है, आत्मा को भी रौशन कर देता है। फिर मन में उत्पन्न होने वाले संकीर्ण भाव, जहर भरे भाव के स्थान पर अमृत का वास हो जाता है। एक शुद्ध भाव स्थापित हो जाते हैं, सद्भाव स्थापित हो जाते हैं और इन्हीं शुद्ध भावों के द्वारा हम दूसरों से सद्व्यवहार करते हैं। हैं, और को भी हम चैन देते जाते हैं । हम भी चैन लेते है✍️

✍️पत्रकार रितिक तिवारी की रिपोर्ट ✍️


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