✍️ज्ञान का सूरज उदय हुआ तो जीवन में उजियारा है,मन के भीतर से भ्रमों का दूर हुआ अंधियारा है✍️
✍️ज्ञान का सूरज उदय हुआ तो जीवन में उजियारा है,मन के भीतर से भ्रमों का दूर हुआ अंधियारा है✍️
👉जगतपुर रायबरेली👈
✍️रायबरेली जिला के जगतपुर के अंतर्गत सन्त निरंकारी सत्संग भवन जगतपुर में रविवार का सत्संग कार्यक्रम आयोजित किया गया महात्मा *राकेश कुमार वर्मा जी*.ने कहा गुरु ज्ञान से निरंकार को जाना है पहचान है ,इससे इकमिक हो जाना है असल में इसको पाना है सद्गुरु की कृपा से ही यह प्रभु परमात्मा जो हमारे अंग संग है हाजिर नाजिर है जो कायम दायम रहने वाली सत्ता है सद्गुरु की कृपा से ही ज्ञान मिलता है ज्ञान प्राप्त करने के बाद एक इकमिक वाली अवस्था को बना लेने से ही ज्ञान का आनंद मिलता है जिसने इस प्रभु परमात्मा को हर घट में देखते हुए सभी से प्यार किया है उसने वह सुकून शांति आनंद अपने जीवन में पा लिया है औरों को भी सुकून शांति आनंद देते हुए मानवता की राह में आगे बढ़ते चला जाता है भगवान श्री राम ने तारा को इस परमसत्य का ज्ञान देकर उनके मोह को नष्ट करते हुए दुखों को दूर कर दिया था तारा बिकल देखि रघुराया, दीन्ह ग्यान हरि लीन्ही माया । महात्मा आगे कहते हैं ये एक जिसने ये सारी सृष्टि बनाई सूरज, धरती अग्नि पानी, हवा ये सब बनाया सभी जीवों का सृजनहार भी यही है सिवा इस प्रभु परमात्मा के कुछ भी नहीं है अर्थात वासुदेवः सर्वम् सब कुछ इस प्रभु परमात्मा से ही है ऐसे ज्ञान को पाकर ज्ञानी जन इस संसार के मोह बंधन से मुक्त हो कर एक परमार्थ के भाव के जीवन जीते हैं और एक सुंदर धार्मिक और आध्यात्मिक समाज का निर्माण करते है इस मौके पर समस्त साध संगत मौजूद रही
ज्ञान का सूरज उदय हुआ तो जीवन में उजियारा है,मन के भीतर से भ्रमों का दूर हुआ अंधियारा है सन्तो ने हमेशा से इस एक के ही तरफ इशारा किया है इसी एक की ही समझ दिया है ये प्रभु परमात्मा एक है इसने ही सारे संसार को बनाया है ये अजन्मा है अपरिवर्तनशील है सद्चितआन्नदमय है सारी शक्तियां इसी से प्रकट होती है और धर्म की स्थापना कर के इसी में समाहित हो जाती है सत्गुरु परमात्मा का ज्ञान देकर ब्रह्म और माया को अलग कर दिखलाता है भगवान श्री कृष्ण गीता उपदेश में कहते हैं समोअहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योअस्ति न प्रियः ये भजान्ति मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम्। सभी जीवों में ही हूं न मेरे लिए कोई प्रिय है न अप्रिय है जो मुझे जानकर मेरी भक्ति करता है वो मुझमें है मैं उसमें हूं मैं उसमें परिपूर्ण हो जाता हूं भक्त ऐसे प्रभु परमात्मा अविनाशी का ज्ञान पाकर इस नश्वर जगत में त्याग भाव से जीवन जीने लगता है एक निर्लेप अवस्था को प्राप्त कर लेता है सुख दुःख से परे होकर मन आन्निदत हो जाता है जीवन के उतार चढ़ाव में एक सी मनोस्थिति बना कर अन्तरमन में सुकून पा लेता है इस मौके पर समस्त साध संगत मौजूद रही✍️
✍️पत्रकार रितिक तिवारी की रिपोर्ट ✍️