✍️यह सोने का वक्त नहीं है ऐ बंदे तू जाग जरा, जन्म जन्म से बिछड़ा✍️

✍️यह सोने का वक्त नहीं है ऐ बंदे तू जाग जरा, जन्म जन्म से बिछड़ा✍️
👉जगतपुर रायबरेली👈
✍️रायबरेली जिला के जगतपुर में रविवार को सत्संग कार्यक्रम आयोजित हुआ महात्मा विजय बहादुर जी* ने कहा यह सोने का वक्त नहीं है ऐ बंदे तू जाग जरा, जन्म जन्म से बिछड़ा जिससे उसके संग तू लाग जरा, रंग बिरंगी इस दुनिया में क्यों खुद को उलझाता तू, नाशवान माया में अपनी क्यों है जान फंसाता तू ,तन भी तेरा नहीं है अपना इसे छोड़कर जाना है।* महापुरुषों ने हमेशा से ही एक जागृत अवस्था में रहकर जीवन जीने की प्रेरणा दी है कि *उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।* उठो जागो और सद्गुरु की शरण में आकर प्रभु परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करो। ज्ञान के बिना इस जगत में कुछ भी उन्नति साध्य नहीं हो सकती। यह आत्मज्ञान और आत्मोन्नति का मार्ग अत्यंत दुर्लभ है यह सोने का वक्त नहीं है जन्म जन्म से इस जन्म मरण के बंधन में पड़ी आत्मा को परमात्मा से मिलाने के लिए यह मनुष्य तन मिला है जब दुनिया को ही सर्वोपरि मानकर जीने लगते हैं और उन वस्तुओं को बनाने में ही जीवन की सारी शक्तियां लगा देते हैं तो उसी अवस्था से संत महापुरुष एक जागृत अवस्था में रहने की प्रेरणा देते आए हैं कि इस दुनिया में इस तरह से उलझ के नहीं रहना है इस नाशवान संसार से प्रीत नहीं लगानी है
दुनिया में हो लेकिन दुनिया के तलब गार ना हो नाता इस प्रभु परमात्मा से जोड़ना है प्रीत इस प्रभु परमात्मा से लगानी है जो अविनाशी है अजन्मा है मुक्ति का स्रोत है ऐसे निर्गुण निरंकार प्रभु परमात्मा का ज्ञान सद्गुरु से प्राप्त करके इसकी भक्ति करनी है यह शरीर मिला है यह भी हमेशा के लिए रहने वाला नहीं है इसका भी एक दिन त्याग करना पड़ता है इसलिए महापुरुष जागृत अवस्था में रहकर जीने के लिए कह रहे हैं ये मानव योनि मिली है तो इस जन्म को सार्थक कर ले एक मनुष्य बन के जिए मानवता वाले गुणों से युक्त होकर जीवन जिये। इस मौके पर ब्रांच प्रबंधक ज्ञान प्रचारक महात्मा बसन्त लाल जी आये हुए सभी श्रद्धालु भक्तजनों को आभार व्यक्त किया सत्संग में….आदि साध संगत मौजूद रही✍️
✍️पत्रकार रितिक तिवारी की रिपोर्ट ✍️