✍️कृष्ण का हुआ जन्म वासुदेव ने यमुना पार कर नवजात कृष्ण को पहुंचाया गोकुल✍️

✍️कृष्ण का हुआ जन्म वासुदेव ने यमुना पार कर नवजात कृष्ण को पहुंचाया गोकुल✍️
‼️जगतपुर (रायबरेली)‼️
✍️विकास क्षेत्र के गुंझी मजरे चिचौली गांव में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन भागवत कथा वाचक अनिल कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के पावन प्रसंग में वासुदेव जी के संघर्षमय सफर का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तेज बारिश और आंधी के बीच वासुदेव जी ने नवजात बालक को टोकरी में रखा और मथुरा की जेल से गोकुल की ओर प्रस्थान किया।यमुना किनारे पहुंचते ही भयंकर बाढ़ का दृश्य उत्पन्न हो गया। जल की धारा इतनी प्रबल हो गई कि वासुदेव जी भयभीत हो गए। तभी भगवान के चरणों का स्पर्श पाकर यमुना जी ने मार्ग प्रदान किया और वासुदेव जी सुरक्षित गोकुल पहुंच गए। गोकुल में नंदबाबा के आंगन में खुशियों की लहर दौड़ गई। भगवान श्रीकृष्ण के आगमन से ब्रजभूमि आनंदित हो उठी।वासुदेव जी ने बालक को यशोदा माता के पास सुलाकर पुनः मथुरा लौटने का निर्णय लिया। जब कंस ने जन्मी कन्या को उठाकर पटकने का प्रयास किया, तो वह देवी रूप में प्रकट होकर आकाश में चली गई और भविष्यवाणी की— “हे कंस! तेरा संहार करने वाला जन्म ले चुका है।”इस दिव्य घटना के बाद मथुरा में हड़कंप मच
गया। कंस क्रोध में व्याकुल हो उठा और संतान वध की योजना बनाई। उधर, गोकुल में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से आनंद और उल्लास का माहौल छा गया, और ब्रजवासियों ने उत्सव मनाना शुरू कर दिया। इस मौके पर ग्राम प्रधान शिव बहादुर सिंह, राम लखन सिंह, रामानंद सिंह, राम सुमिरन सिंह, अतुल सिंह, रामू सिंह, अनिल सिंह, अंकित सिंह, शिव शरण सिंह, चंद्रपाल सिंह आदि मौजूद रहे✍️
✍️पत्रकार रितिक तिवारी की रिपोर्ट ✍️